लगातार 10 जीत के बाद टूटा करोड़ों भारतीयों का सपना, ऑस्ट्रेलिया फिर विश्व विजेता
कल फिर भारतीय टीम का विश्व कप ट्रॉफी का सपना , सपना रह गया। भारतीय टीम ने 10 मैच जीते, लेकिन 11वें मैच में अच्छा नहीं खेल पाए । दूसरी बार भारतीय टीम का फाइनल मैच ऑस्ट्रेलिया से हुआ और हार गया।
भारतीय टीम वर्ल्ड कप फाइनल में ऑस्ट्रेलिया से हार गई। रविवार 19 नवंबर को अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में ऑस्ट्रेलिया विश्व कप फिर जीत गया। इस बार टीम इंडिया 6 विकेट से हार गई।लगतार 10 मैच जीतने के लिए टीम इंडिया फाइनल में पहुंची लेकिन खराब फील्डिंग या बैटिंग के कारण मैच हार गई । टीम इंडिया या सभी भारतीयों का 12 साल बाद वर्ल्ड कप जीतने का सपना टूट गया। 2003 में टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया से हार गई थी भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों को ये उम्मीद थी कि हार का बदल ले लिया जाएगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं ऑस्ट्रेलिया फिर जीत गई और अब दो फाइनल, मैं हर का बोझ करोड़ क्रिकेट प्रशंसकों को अपने कंधों पर लेकर चलना होगा।
ऑस्ट्रेलिया टीम के कप्तान पेंट कैमिस ने मैच शुरू होने से पहले कहा था कि विपरीत टीम के समर्थन का शोर शांत करने के ज्यादा और कुछ अच्छा नहीं हो सकता है। ऑस्ट्रेलिया टीम के बॉलर्स ने फाइनल में अच्छी बॉलिंग की, भारत को 50 ओवर में 240 रन पर समेट कर स्टेडियम पहुंचा दिया और 1.3 लाख समरथको को शांत कर दिया।
खुद कमिंस ने मैच को समझते हुए 34 रन बनाकर दो विकेट लिए। वही भारतीय टीम में विराट कोहली ने 54, केएल राहुल ने 66 रन बनाकर भारत को 240 रन का स्कोर तक पहुंचाया। ऑस्ट्रेलिया ने 43 ओवर में चार विकेट पर 241 रन बनाकर मैच जीत लिया।
कमिंस ने पिच को बेहतर समझा
फाइनल मैच होने से पहले ऑस्ट्रेलिया टीम के कप्तान पेंट कमिंस ने बहुत देर तक पिच देखी और पिच देखने के बाद अपने मोबाइल से लंबी बातचीत की। इसका नतीजा ये निकला कि जब कमिंस ने टॉस जीता तो उन्होने फील्डिंग को चुना, क्योंकि उन्हें पता था कि शाम को गिरने वाली ओस उनका काम आसन करेगा।
ट्रैविस हेड के कैच ने किया रोहित की पारी का अंत
नरेंद्र मोदी स्टेडियम में नीली जर्सी में रोहित ने अच्छी शुरुआत की, जैसे वो हर बार करते हैं, लेकिन पहले विश्व कप खेल रहे शुभम गिल ने सिर्फ चार रन बनाए और अपना विकेट गवां दिया। लेकिन रोहित शर्मा लगातार खेलते रहे और रन बनाते रहे। उन्होंने 10 वी ओवर में एक 6 और एक 4 मारा। रोहित अपना अर्धशतक बनाने से 3 रन दूर थे, उन्हें फिर 6 मारने की कोशिश की, गेंद हवा में गई, ट्रैविस हेड ने 11 मीटर पीछे जाकर कैच पकड़ लिया। ये एक अच्छा कैच था। इस कैच ने 1983 के फाइनल में कपिल देव के द्वार लिए गए विवि रिचर्ड्स के कैच की याद दिला दी।
राहुल के आउट होते ही गिराने लगे विकेट
मैच जीतने की सारी उम्मीद राहुल पर थी। वे अपना अर्धशतक पूरा कर चुके थे और लग रहा था कि वे 100 रन आसानी से बना लेगे लेकिन माइकल ने उनकी पारी का अंत कर दिया। राहुल ने 107 गेंदों में सिर्फ एक 4 मारा और 66 रन बनाए। 20 और 40 ओवर के बीच में प्र्दर्शन और ख़राब हो गया और इंडिया की तरफ़ से सिर्फ दो बाउंड्री लगी ।
हेड बने संकटमोचन
ट्रैविस हेड और लाबुसेन ने 4 विकेट के लिए 192 रन बनाए और एक अच्छी पारी खेली। हेड ने इस फाइनल मैच को यादगार बनाते हुए एक शतक लगाया। 120 गेंदों पर 137 रन बनायें और 15 चोेके या 4 छक्के लगाएगे.
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