चंद्रयान-3 के सफर का आवश्यकात्मक अध्याय

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चंद्रयान-3 अपने इतिहास रचने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ा चुका है। इस मिशन के अंतिम डीबूस्टिंग कार्य का पूरा हो चुका है और इसके लैंडर मॉडल और प्रोपल्शन मॉडल ने अपने कार्यों को सफलतापूर्वक निष्पादित किया है। चंद्रयान-3 धीरे-धीरे चांद की सतह की ओर बढ़ रहा है, इसका प्रयास किया जा रहा है।

17 अगस्त को लैंडर मॉडल और प्रोपल्शन मॉडल एक-दूसरे से अलग हो गए हैं, जिससे लैंडिंग के लिए तैयारी की गई है। इसरो के प्रमुख ने बताया कि 23 अगस्त को शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रयान-3 चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने का प्रयास किया जाएगा। इस मिशन में चंद्रयान-3 अपने साथ विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को लेकर गया है। इस में विक्रम लैंडर की अहम भूमिका है, जो रोवर को साथ लेकर चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। लैंडिंग के बाद, रोवर चांद की सतह पर पानी और रसायनों की खोज करेगा।

चंद्रयान-3- इंजन में खराबी आने पर भी सफलता प्राप्त होगी।

इसरो के प्रमुख, एस सोमनाथ, ने व्यक्त किया कि यदि चंद्रयान-3 के सभी सेंसर्स और इंजन अपनी सेवाएँ बंद कर दें, तो भी विक्रम लैंडर को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने की क्षमता होगी। उन्हें इस बारे में सूचना दी गई कि प्रोपल्शन सिस्टम काम करने में और भी बेहतरीन तरीके से सहायक होगा।

क्या है चंद्रयान-3 मिशन

14 जुलाई को, श्रीहरिकोटा स्पेस केंद्र से, चंद्रयान-3 मिशन का सफल लॉन्च हुआ था। इसरो की दिशा में चंद्रयान-3 के तहत, 23 अगस्त को शाम 6 बजकर 4 मिनट पर, चंद्र की दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने की प्रयास किया जाएगा। इस मिशन में, चंद्रयान-3 ने अपने साथ एक लैंडर और एक रोवर को भी ले जाया है। वैज्ञानिक इस मिशन के तहत चंद्र पर मौजूद रसायनों का अध्ययन करेंगे, पृथ्वी और चंद्र के रिश्तों की गहराईयों को समझने की कोशिश करेंगे। इसके साथ ही, धरती की उत्पत्ति को समझने की भी प्रयास करेंगे। अब तक, सॉफ्ट लैंडिंग की सफलता केवल अमेरिका, चीन और रूस के पास थी, जो चंद्र की उत्तर ध्रुवीय तरफ लैंड करने में सफल हुए हैं। यदि चंद्रयान-3 चंद्र की दक्षिणी ध्रुवीय तरफ सफलतापूर्वक लैंड होता है, तो भारत पहला ऐसा देश बनेगा जिसने इस क्षेत्र में इतिहास रचा। 

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