RERA के नए नियम: दिल्ली में अपनी मर्ज़ी से नहीं बना सकेंगे घर

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दिल्ली में 50 वर्ग मीटर के आकार में बनी जा रही इमारतों के दायरे को सीमित करने वाले निर्देशों का सबसे अधिक प्रभाव सड़कों की कच्ची कॉलोनियों पर होगा। नए नियमों के कारण, कई कच्ची कॉलोनियों में जो लाखों संपत्ति है, उन पर संकट के बादल छाए हैं।

वास्तविकता में, इन क्षेत्रों में नगर निगम द्वारा मंजूर किए गए नक्शे काफी कम संपत्तियों के स्वामियों के पास हैं। इस परिस्थिति में, संपत्तियों की हालत अब मुश्किल में है। दिल्ली में 1600 से अधिक कॉलोनियां हैं, जिन्हें कच्ची कॉलोनी की सूची में शामिल किया गया है। इसमें से अधिकांश को नई शहरीकरण योजना के तहत नोटिफाई कर लिया गया था। इसके बाद, यहां पर प्रधानमंत्री उदय योजना के अंतर्गत निगमित बनावटों की पंजीकरण भी शुरू हो गई थी। इसके कारण, यहां बिल्डर्स के अलावा सामान्य लोगों ने भी धोखाधड़ी से 5-6 मंजिल वाले फ्लैट्स बनाए। बहुत से लोग ने यहां संपत्ति में निवेश किया, लेकिन अब रेरा के नए नियमों के कारण लाखों संपत्तियों पर संकट आ गया है।

दिल्ली में आबादी की बढ़ती हुई समस्या ने एक नई चुनौती पैदा की है, जिसका परिचायक यह है कि लोग 200 गज जगह में 20-20 फ्लैट्स बना रहे हैं और इन्हें बाजार में बेच रहे हैं। लोग नक्शे को पास कराने के लिए किसी पेंट्री या अन्य बहाने का उपयोग कर रहे हैं, और फिर बाद में इसे फ्लैट्स में परिवर्तित कर बाजार में ला रहे हैं।

2008 में सुप्रीम कोर्ट ने तय किया था कि दिल्ली में बड़े प्लॉट्स पर कितने घर बनाए जा सकते हैं, लेकिन दिल्ली रेरा से मिली जानकारी के अनुसार, इस नियम का पालन नहीं हो रहा है, और जमीन पर अत्यधिक फ्लैट्स बनाए जा रहे हैं।

RERA का आदेश

रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (RERA) ने अपने आदेश में एजेंसियों को 2008 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पूर्वानुमान करने का निर्देश दिया है, जिसके तहत अलग-अलग साइज के प्लॉट पर कंसट्रक्ट होने वाली यूनिट्स की अधिकतम संख्या को निर्धारित किया गया था। सभी सब-रजिस्ट्रार्स को अधिकारिक निर्देश दिए गए हैं कि वे प्लॉट के आकार के अनुसार आवास इकाइयों की संख्या से अधिक का रजिस्ट्रेशन न करें। रेगुलेटरी ने कई शिकायतों के बाद इस दिशा में निर्देश जारी किया है, हालांकि ये कोई नई नियम नहीं हैं, बल्कि 2008 में ही सुप्रीम कोर्ट ने इसे लागू किया था।

हेरफेर का दौर कैसे हो रहा है?

कुछ बिल्डर्स नक्शे को गलत दिखाकर उसे पास करवा लेते हैं और बाद में उसे मॉडिफाई कर लेते हैं। कुछ मामलों में, यह भी देखा गया है कि बिल्डर्स बड़े फ्लैट्स का नक्शा पास करवा लेते हैं और फिर बाद में उसे तोड़कर दो छोटे फ्लैट्स में बदल लेते हैं। कई फ्लैट खरीदने वालों को यह पता भी नहीं होता है कि जिस जगह फ्लैट है, वहां कितने फ्लैट्स बन सकते हैं।

दिल्ली में अनेक अनऑथराइज्ड कॉलोनियां: BJP अध्यक्ष का दावा

दिल्ली के BJP अध्यक्ष ने दावा किया है कि RERA के आदेश के अनुसार, 50 मीटर तक के प्लॉट्स पर सिर्फ तीन आवासीय इकाइयों की अनुमति होनी चाहिए, हालांकि दिल्ली में कई छोटे प्लॉट्स पर चार से पांच आवासीय इकाइयां हैं। उसके अनुसार, 50 से 250 मीटर के प्लॉट्स पर सिर्फ चार आवासीय इकाइयों की अनुमति होनी चाहिए, जबकि दिल्ली में 100 से 250 मीटर के साइज की संपत्तियों में बड़ी संख्या में छह से आठ आवासीय इकाइयां हैं।

दिल्ली में कुल 1671 अनऑथराइज़्ड कॉलोनियां हैं, जहां आज तक कोई बिल्डिंग प्लान मंजूर नहीं किया गया है।

BJP ने AAP से पूछा सवाल

दिल्ली बीजेपी ने सोमवार को दावा किया कि एनसीटी दिल्ली रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (RERA) के आदेश के बाद, यहां सब-रजिस्ट्रार की ओर से प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन रोक दिया गया है। हालांकि, राजस्व विभाग के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन रोकने के लिए सब-रजिस्ट्रार को कोई निर्देश जारी नहीं किया गया है। आप (AAP) सरकार की आलोचना करते हुए दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) से यह स्पष्ट करने को कहा कि क्या एनसीटी ऑफ दिल्ली रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) का आदेश 20 नवंबर या उसके बाद की किसी तारीख से पहले बनी संपत्तियों पर लागू होगा।

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