RBI Monetary Policy: EMI घटेगी या बढ़ेगा बोझ? आज होगा बड़ा ऐलान
आपके लोन की ईएमआई (Loan EMI) कम होगी या फिर बोझ बढ़ने वाला है, इसका पता कुछ ही देर बाद भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक के नतीजों का ऐलान होने पर चलेगा। दरअसल, बुधवार को मुंबई में शुरू हुई RBI की बैठक में रेपो रेट (Repo Rate) को लेकर हुई चर्चा के परिणाम आज सुबह 10 बजे घोषित किए जाएंगे। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) बैठक में लिए गए फैसलों के बारे में जानकारी देंगे।
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर केंद्रीय बैंक वाणिज्यिक बैंकों को उधार देता है। यह दर बैंकों के लिए धन की लागत को प्रभावित करती है, और अंततः यह दर आम जनता द्वारा लिए गए लोन की ब्याज दरों पर भी असर डालती है। यदि रेपो रेट घटता है, तो बैंकों के लिए उधार लेना सस्ता हो जाता है, जिससे वे ग्राहकों को कम ब्याज दर पर लोन दे सकते हैं। इसका मतलब है कि आपके लोन की EMI कम हो सकती है। दूसरी ओर, अगर रेपो रेट बढ़ता है, तो लोन की ब्याज दरें बढ़ सकती हैं, जिससे EMI का बोझ बढ़ सकता है।
रिजर्व बैंक के इस फैसले पर न सिर्फ आम लोग, बल्कि शेयर बाजार (Stock Market) भी नजर बनाए हुए है। केंद्रीय बैंक के फैसले का प्रभाव शेयर बाजार में भी देखने को मिल सकता है। शेयर बाजार में निवेशक केंद्रीय बैंक की नीतियों और ब्याज दरों के फैसलों को ध्यान में रखते हैं, क्योंकि इससे आर्थिक गतिविधियों और कंपनियों के लाभ पर असर पड़ता है।
आज सुबह 10 बजे रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास इस बैठक में लिए गए निर्णयों की घोषणा करेंगे। इस समय सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि रिजर्व बैंक अपने रेपो रेट को किस दिशा में ले जाता है। यह फैसला न केवल आपके लोन की EMI पर प्रभाव डालेगा, बल्कि व्यापक आर्थिक गतिविधियों और बाजार की दिशा को भी प्रभावित करेगा।
फरवरी 2023 में हुआ था रेपो रेट में संशोधन
रिपोर्ट्स के मुताबिक, विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस बार भी नीतिगत दरों (Repo Rate) में कोई बदलाव नहीं होगा। यानी रेट में किसी परिवर्तन की उम्मीद नहीं है। नए वित्तीय वर्ष की यह दूसरी MPC बैठक है और फिलहाल रेपो रेट 6.50 फीसदी पर स्थिर है। रिजर्व बैंक ने आखिरी बार फरवरी 2023 में रेपो रेट बदला था और इसे 25 बेसिस पॉइंट बढ़ाकर 6.50 फीसदी कर दिया था। तब से इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है।
रेपो रेट का EMI पर प्रभाव
RBI की MPC बैठक हर दो महीने में होती है और इसमें रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास समेत छह सदस्य महंगाई और अन्य मुद्दों पर चर्चा करते हैं। बता दें कि रेपो रेट का सीधा संबंध बैंक लोन लेने वाले ग्राहकों से होता है। इसके कम होने से लोन की EMI घट जाती है और बढ़ने से EMI बढ़ जाती है। दरअसल, रेपो रेट वह दर है जिस पर देश का केंद्रीय बैंक, वाणिज्यिक बैंकों को धन की कमी की स्थिति में पैसा उधार देता है। मौद्रिक अधिकारी रेपो रेट का उपयोग महंगाई (इंफ्लेशन) को नियंत्रित करने के लिए करते हैं।
महंगाई के ताजा आंकड़े: क्या कहती हैं रिपोर्टें?
मई महीने की रिटेल महंगाई दर के आंकड़े इस महीने के अंत में जारी किए जाएंगे। एसबीआई रिसर्च के अनुसार, अक्टूबर से वित्त वर्ष 2024-25 के अंत तक महंगाई दर के 5 फीसदी से नीचे रहने की उम्मीद है। इससे पहले, अप्रैल महीने में थोक महंगाई बढ़कर 1.26% हो गई थी, जो 13 महीनों का उच्चतम स्तर है। इसके अलावा, अप्रैल में रिटेल महंगाई 4.83 फीसदी रही थी।
पिछले वित्त वर्ष में रेपो रेट 6 बार बदला गया
नए वित्तीय वर्ष में यह दूसरी एमपीसी बैठक है और पहली बैठक में भी रेपो रेट को स्थिर रखा गया था। हालांकि, पिछले वित्तीय वर्ष 2022-23 में रेपो रेट में छह बार बढ़ोतरी हुई थी। उस समय आरबीआई ने महंगाई को काबू में रखने के लिए 4 फीसदी पर स्थिर रेपो रेट में कई बार बढ़ोतरी की, जिससे कुल मिलाकर 2.50 फीसदी की वृद्धि हुई और फरवरी 2023 में यह 6.50 फीसदी पर पहुंच गया था।
ये भी पढ़ें: एलवीश यादव पर टुटा मुस्किलो का पहाड़ ,२७ मार्च को गुरुग्राम कोर्ट में होगी उनके केस की सुनवाई , जानिए इसकी जानकारी