नए विधान से राम मंदिर में पूजा, प्रधानमंत्री मोदी करेंगे प्राण प्रतिष्ठा; इन 10 अपडेट्स के साथ।

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राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के समय सारा माहौल भक्तिमय हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार सुबह 10:20 बजे प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान में शामिल होंगे। उनके आगमन के बाद, माहौल में एक नया ऊर्जा सप्रेरित हो गया है। इसके अतिरिक्त, भगवान रामलला की विशेष पूजा का कार्यक्रम भी आयोजित किया गया है। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद, नए विधान के अनुसार पूजा का आयोजन किया जाएगा। इस के लिए, रामलला की पूजा के लिए निर्देशिका तैयार की गई है। मंदिर ट्रस्ट ने 48 पृष्ठों का “रामोपासना ग्रंथ” तैयार किया है। इसके अलावा, राम के साथ कृष्ण जन्मभूमि का भी जयघोष होगा। मंदिर में मंत्रों में वृद्धि हुई है और स्तुतिगान भी परिवर्तित हैं।

आज से रामलला का विराजमान राम मंदिर में

राम मंदिर निर्माण के पश्चात प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियाँ पूर्ण हो गई हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज सुबह 11 बजे से 12 बजे तक मंदिर में विशेष पूजा में भाग लेंगे। भगवान श्रीराम के जन्म का समय दोपहर 12 बजे से होकर 29 मिनट 8 सेकंड से लेकर 12 बजे, 30 मिनट, और 32 सेकंड तक का शुभ मुहूर्त है, जिस पर प्राण प्रतिष्ठा का मुख्य अनुष्ठान होगा। इस समय के दौरान, रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को राम मंदिर के गर्भगृह में सम्पन्न किया जाएगा।

प्राण प्रतिष्ठा के दौरान पुष्प वर्षा होगी।

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान हेलिकॉप्टर से पुष्प वर्षा का आयोजन। सेना ने इस कार्यक्रम के लिए तैयार किए गए हेलिकॉप्टरों की व्यवस्था की है। इसके साथ ही, राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर विभिन्न अतिथियों का स्वागत शुरू हो गया है। स्वामी रामदेव, धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री, मोरारी बापू, सुपरस्टार रजनीकांत, धनुष जैसे वीवीआईपी गेस्ट्स ने अयोध्या में अपना पहुंचाव कर दिया है। सीएम योगी आदित्यनाथ भी रविवार से ही अयोध्या में मौजूद हैं और सभी तैयारियों की जांच कर रहे हैं।

पूजा होगी नए विधि-विधान में।

अब रामलला की पूजा नए विधि-विधान के अनुसार होगी। राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने इसमें कई बदलाव किए हैं, और रामलला की पूजा पद्धति में संशोधन किया गया है। इस संदर्भ में, ट्रस्ट ने 48 पृष्ठों का “रामोपासना ग्रंथ” तैयार किया है, जिसमें मंत्रों में वृद्धि हुई है और स्तुतिगान में भी परिवर्तन किया गया है। हालांकि, जन्म के समय होने वाली स्तुति ‘भए प्रकट कृपाला, दीनदयाला, कौसल्या हितकारी’ अब भी पूजन का हिस्सा रहेगा। इसके बावजूद, पूजन में शामिल दोहों की संख्या में कमी की गई है।

श्री राम चंद्र कृपालु भजमन अब सुनाई नहीं देगा।

रामलला की पूजा अब रामानंदी परंपरा के अनुसार होगी। इसलिए, पूजन पद्धति भी रामानंदाचार्य की दिशा में प्रतिस्थापित होगी, रामोपासना के आधार पर। जन्मभूमि में रामलला की पूजा के समर्थन में संतोष तिवारी बता रहे हैं कि पूजन की प्रक्रिया में सामान्यतः वही रहेगी, लेकिन अब पूजा सूक्ष्म रूप के मंत्रों से नहीं, बल्कि वृहद रूप में होगी। इसका अर्थ है कि मंत्रों की संख्या में वृद्धि हुई है। नए ग्रंथ में अब संस्कृत के श्लोक, वेदों की ऋचाओं के साथ वाल्मीकि रामायण के श्लोक भी शामिल किए गए हैं। अवधी भाषा का अंश कम हो गया है। पहले स्तुति गान ‘श्री राम चंद्र कृपालु भजमन’ की जगह अब संस्कृत में ‘नमामि भक्त वत्सलं कृपालु शील कोमलं भजामि ते पदाम्बुजंकामिनां स्वधामदम’ सुनाई जाएगी।

वृहत मंत्र से बदलेंगे 16 सूक्ष्म मंत्र

पूजन की प्रक्रिया अब बाल स्वरूप में सुबह शयन से उठाने से लेकर चंदन और शहद से स्नान कराने, लेप करवाने तक का विस्तृत है। इसमें अब तक दोपहर को विश्राम, सायं भोग, और आरती के बाद शयन तक की कुल 16 मंत्रों की प्रक्रियाएं शामिल हैं। इनकी संख्या में वृद्धि हुई है और मंत्रों का आकार भी बड़ा है।

यंत्र पूजन और करन्यास भी समारंभ होगा।

रामलला की पूजा से पहले पुजारी के शरीर की शुद्धि के लिए प्रक्रिया में वृद्धि की गई है। संतोष तिवारी बताते हैं कि करन्यास के माध्यम से शुद्धि का समर्पण किया जाएगा, जिसके बाद पूजा आरंभ होगी। उनके अनुसार, रामलला के चरणों में एक यंत्र भी स्थापित किया गया है, इसलिए अब उनकी पूजा के दौरान यंत्र पूजा भी होगी।

तीनों रानियों के साथ दशरथ संग होगा जयघोष।

पूजन के बाद अब 6 के स्थान पर 13 जयघोष होंगे। इनमें राजा दशरथ के साथ तीनों रानियों कौशल्या, कैकेयी और सुमित्रा का भी जयघोष किया जाएगा। इस अद्वितीय समय पर, पहली बार राम जन्मभूमि के साथ कृष्णजन्मभूमि, काशी विश्वनाथ धाम और सरयू मैया का भी जयघोष होगा। इस अवसर के लिए, 21 पुजारी विशेष रूप से तैयार किए जा रहे हैं।

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